Top Guidelines Of hindi kahani moral
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उसने अपने भाई-बहनों की पढ़ाई के लिए भी पैसे दिए।
अब बीरबल को असली चोर के बारे में मालूम पड़ गया था। वह जानते थे कि चोर कौन है।
चना निकालने के लिए उसने जार में हाथ डाला और एक मुट्ठी चना पकड़ लिया। लेकिन घड़े का मुंह छोटा होने के कारण हाथ का हत्था बाहर नहीं निकला। इसके लिए उसने जोर से धक्का दिया और कूदने लगा। लेकिन लालची बंदर ने हाथ के चने नहीं छोड़े।
शेर उनके बड़े सींगो से काफी डरता था, और उनसे दूर भागता था। एक दिन शेर ने सोचा कि ये चारो कभी भी एक दूसरे से अलग नहीं होते, मुझे कुछ ऐसा सोचना होगा जिससे मैं उन्हें एक दूसरे से अलग कर पाऊँ। इसलिए वह कोई ऐसी योजना सोचने लगा जिससे उनकी मित्रता तोड़ी जाए। एक दिन वह एक बैल के पास गया और उससे बोला, “तुम्हारे मित्र कहते है कि तुम बहुत बड़े मूर्ख हो।
अकस्मात वहां एक भील जाति का शिकारी आ गया और उसने शेर पर हमला करके उसे मार भगाया।
ये सुनकर अकबर बड़ा खुश हुआ और कहने लगा कि, ये तो बड़ी आसान शर्त है। फिर बीरबल ने दूसरी शर्त बताई की घोड़ा ले जाने के लिए हफ्ते के सातों दिन के आलावा कोई और दिन देखना होगा। बीरबल ने हँसते हुए कहा घोड़ा लाने के लिए शर्ते तो माननी ही पड़ेगी।
उसने सोचा कि मैं ने उस बीमार इंसान के रूप में भगवान की मदद करी थी, जिससे भगवान ने उससे प्रसन्न होकर यह धन उसको दिया।
लकड़हारा के छोटे बच्चे ने उसकी ये बात सुन ली। उसने बहुत सारे सफ़ेद पत्थर अपनी जेब में भर लिए। अगले दिन जब वे जंगल में जा रहे थे तो वह रास्ते में पत्थर गिराता रहा। उनके पिता जंगल में बच्चों को छोड़कर वापिस चले गए। छोटा बच्चा उन पथरो की मदद से अपने भाई-बहनों को घर ले आया। अगली बार वह बच्चा पत्थर नहीं बटोर पाया इसलिए उसने रास्ते में रोटी के टुकड़े फांके जिन्हे चिड़िया और जानवर खा गए। बच्चे इस बार घर का रास्ता नहीं ढूंढ पाए और वे रोने लगे।
इस प्रकार रामू ने हार नहीं मानी और अपनी मेहनत के जरिए अपने और अपने परिवार के भविष्य को सुरक्षित किया।
साल बीत गए और रामू अपना जीवन जीता रहा, अपने खेत की देखभाल करता रहा और जरूरतमंदों की मदद करता रहा।
रमेश के इस सरल स्वभाव को देखकर प्रधानाचार्य खुशी हुए और उन्होंने click here रमेश से बताया कि तुम्हारे माता-पिता ने फोन करके तुम्हारे स्कूल ना आने का कारण मुझे पहले ही बता दिया था।
एक दिन घर के कर्ता ने कहा, “मैं इस बंदर को पकड़ कर निकाल दूंगा।” केवल घागरी का मुंह खुला रह गया था। सब चले गए। बंदर घर में आया। कुछ देर बाद वह कूद कर बाहर आया। जब उसने दबे हुए घड़े में छोले देखे तो वह वहीं बैठ गया।
अब महेश के पास पूरी तरह से धन और अन्न की कमी हो गई थी। अगले दिन सुबह जब वह सोकर उठा तो उसने बाहर जाकर देखा कि उसकी फसल खेत में लहरा रही है। वह बड़ा ही खुश हुआ और घर में भी धनधान्य की कमी पूरी हो गई।
इस पर उसने काफी सोच विचार कर एक उक्ति लगाई, और राजा के दरबार में आवाज लगाते पहुंच गया! बकरियां मेरा दो गांव खा गई, बकरियां मेरा दो गांव खा गई। यह बात राजा तक पहुंचाई गई राजा मुस्कुराए वह बात को समझ गए, उन्होंने उस भील व्यक्ति को जो वायदा किया था उसे पूरा किया।
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